Raat Phaili Hai Tere

रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
रात फैली है

खुश्क़ पत्तों की तरह लोग उड़े जाते हैं
खुश्क़ पत्तों की तरह लोग उड़े जाते हैं
शहर भी अब तो नज़र आता है जंगल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
रात फैली है

फिर ख़्यालों में तेरे, क़ुर्ब की ख़ुशबू जागी
फिर ख़्यालों में तेरे, क़ुर्ब की ख़ुशबू जागी
फिर बरसने लगीं आँखें मेरी बदल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
रात फैली है

बेवफ़ाओं से वफ़ा कर के गुज़ारी है हयात
बेवफ़ाओं से वफ़ा कर के गुज़ारी है हयात
ये बरसता रहा वीरानों पे बादल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की तरह
रात फैली है तेरे, सुरमायी आँचल की तरह
रात फैली है



Credits
Writer(s): Kaleem Usmani, Ust. Nazar Hussain
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