Gustaakh

वो गुमनाम मिला यहाँ, कहता, "रहनुमा"
क्यूँ रुकते कदम यहाँ? रस्ते बेशुमार
मिलते हैं जो गुलिस्ताँ चंद रोज़
चलता चल तू, ना गिन उनके अब निशाँ

क्यूँ सुनते रहें फिर वही दास्ताँ?
कह कुछ तू नया यहाँ, चूप क्यूँ, रहनुमा?
चंद रिवाज़ों से लिखता है तक़दीर
उस बुज़दिल पे हँसता है आसमाँ

गुस्ताख़ है जो कल में जिया है
पूछो उसे, क्या हस्ती है, क्या पहचाँ है
फ़िरदौस क्या, एक ख़्वाब

गुस्ताख़ है जो कल में जिया है
पूछो उसे, क्या हस्ती है, क्या पहचाँ है
फ़िरदौस क्या, एक ख़्वाब



Credits
Writer(s): The Local Train
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