Mizaaj

ख़ुद-ग़र्ज़ इस नादाँ दिल से कोई पूछे
"हाल क्या है?"
सोचा, कभी बदलेंगे जहाँ
हर घड़ी ये हमें बदलता है

उलफ़त में जो उलझे हैं, उनका है ये कहना
"ख़ाबों में ही रहना यहाँ"
दस्तूर है ये शायद, हमको है जो मिला
फ़ितरत वही, चेहरा नया

बात वो हो चुकी, हसरतें अब हैं दुआ
मुड़के क्या देखे यहाँ
मंज़िलों की बात वो, रास्तों से हो कैसे बयाँ?
तू है अब दोनों जहाँ

मिलते रहे थे जिनसे इन ख़ाबों के साज़
शामिल हूँ मैं उनमे यहाँ
पर्दा उठा दो, जानाँ, दुनिया का मिज़ाज
बस आईना है ये जहाँ

फ़ुर्सतों में रहूँ, ख़ाब मैं अपने चुनूँ
है यही मक़्सद मेरा
ख़्वाहिशें दरमियाँ, मिले कभी हासिल मेरा
है यही कहना यहाँ

ख़ुद-ग़र्ज़ इस नादाँ दिल से कोई पूछे
"हाल क्या है?"
सोचा, कभी बदलेंगे जहाँ
हर घड़ी ये हमें बदलता है



Credits
Writer(s): The Local Train
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