Khudi

ख़ुदी को ख़ुद से मिलाने चला है, ओ दीवाने
ख़ुदी को ख़ुद से मिलाने चला है, ओ दीवाने
गवाह है गुज़रे जमाने, चले हैं जब परवाने
ख़ुदी को ख़ुद से मिलाने चला है, ओ दीवाने

ख़ुदी को ख़ुद से मिलाने चला है, ओ दीवाने
गवाह है गुज़रे जमाने, चले हैं जब परवाने

ठहरा है आलम ये, रुकना ना तुझको गवारा
ठहरा है वक़्त भी, इस पर किसी का ना पहरा
उड़े जो दिल की पतंग से, जुड़े हैं वो याराने
जवाँ दिन जब ज़िंदगी के, शब-ए-ग़म वो बेगाने

ख़्वाबों के बादलों में उड़ा है, ओ दीवाने
गवाह है गुज़रे ज़माने, चले हैं जब परवाने
गवाह है गुज़रे ज़माने, चले हैं जब परवाने
ख़ुदी को ख़ुद से मिलाने चला है, ओ दीवाने

लिख दे ये फ़साना, देखे जो ज़माना
तारों से आगे हो ख़्वाबों का ठिकाना
लिख दे ये फ़साना, देखे जो ज़माना
तारों से आगे हो ख़्वाबों का ठिकाना

है झुका जहाँ, छट गया धुआँ
है रुका समाँ, हम हुए रवाँ
है झुका जहाँ, छट गया धुआँ
हम हुए रवाँ



Credits
Writer(s): The Local Train
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