Me Udi

हाँ, उड़ी, उड़ी, उड़ी
हाँ, उड़ी, उड़ी, उड़ी

मैं, उड़ी बगल में चाँद लेके मैं
तारों की दुकान लेके मैं (मैं)

रोकने, मैं टोकने, ख़ुदी में ख़ुद को झोंकने
लहर-लहर बहे जिधर, साथ होके बेख़बर
मैं बह रही हूँ आज जाने क्यूँ
Ooh, ooh, ooh

मैं, उड़ी बगल में चाँद लेके मैं
तारों की दुकान लेके मैं

ले दिल ज़मीं ने ढूँढ ली वहीं
जहाँ हवाएँ गुनगुनी नहीं
कि ज़ोर आज़माती बिजलियाँ
भी गालों पे करेंगी गुदगुदी

लत जीने की बड़ी लग जाए
हाथों में कोई छड़ी लग जाए

तू रंग बदल (तू रंग बदल)
ले तितलियाँ (ले तितलियाँ)
उड़ चलें (उड़ चलें)
ये मछलियाँ (ये मछलियाँ)

अँधेरियाँ उलाँघती
मैं कल को कल पे टाँगती
चल रही हूँ आज जाने क्यूँ
Ooh, ooh, ooh

मैं, उड़ी बगल में चाँद लेके मैं
तारों की दुकान लेके मैं

मैं ख़्वाब की हथेली पे सवार हूँ
मैं खुशमिजाज़ियों की भी शिकार हूँ
मैं ख़्वाब की हथेली पे सवार हूँ
मैं खुशमिजाज़ियों की भी शिकार हूँ

किसी की आजकल मैं सुनती हूँ कहाँ
उदासियों के घर मैं गिनती हूँ कहाँ

मैं, उड़ी-उड़ी, उड़ी-उड़ी मैं
उड़ी-उड़ी, उड़ी-उड़ी मैं
मैं-, मैं...



Credits
Writer(s): Bharat Menaria, Hitarth, Bharath
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link