Agar Tum Saath Ho

पल भर ठहर जाओ, दिल ये सँभल जाए
कैसे तुम्हें रोका करूँ?
मेरी तरफ़ आता हर ग़म फिसल जाए
आँखों में तुमको भरूँ

बिन बोले बातें तुमसे करूँ
अगर तुम साथ हो

तेरी नज़रों में हैं तेरे सपने
तेरे सपनों में है नाराज़ी
मुझे लगता है कि बातें दिल की
होती लफ़्ज़ों की धोकेबाज़ी

तुम साथ हो या ना हो, क्या फ़र्क़ है?
बेदर्द थी ज़िंदगी, बेदर्द है
अगर तुम साथ हो, अगर तुम साथ हो



Credits
Writer(s): A. R. Rahman, Irshad Kamil
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