Zara Zara Behekta Hai

तड़पाए मुझे तेरी सभी बातें
एक बार, ऐ दीवानी
झूठा ही सही, प्यार तो कर

मैं भूला नहीं हसीं मुलाक़ातें
बेचैन करके मुझ को
मुझ से यूँ ना फेर नज़र

सर्दी की रातों में
हम सोएँ रहें एक चादर में
हम दोनों तनहा हों
ना कोई भी रहे इस घर में

ज़रा-ज़रा महकता है, बहकता है
आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में

ज़रा-ज़रा महकता है, बहकता है
आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में

है मेरी क़सम तुझ को, सनम
दूर कहीं ना जा
ये दूरी कहती है, पास मेरे आजा



Credits
Writer(s): Bombay Jayashri
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