Tum Kya Mile, Pt. 1

बेरंगे थे दिन, बेरंगी शामें
आई हैं तुम से रंगीनियाँ
फीके थे लम्हे जीने में सारे
आई हैं तुम से नमकीनियाँ

बे-इरादा रास्तों की बन गए हो मंज़िलें
मुश्किलें हल हैं तुम्हीं से या तुम्हीं हो मुश्किलें?

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
हम ना रहे हम, तुम क्या मिले
जैसे मेरे दिल में खिले
फागुन के मौसम, तुम क्या मिले

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले

रे गा पा मा, रे गा पा मा
रे गा पा मा, रे गा पा मा
हाँ, सा मा गा रे सा नि सा धा
नि सा गा मा गा

हम थे रोज़मर्रा के, एक तरह के कितने सवालों में उलझे
उनके जवाबों के जैसे मिले
झरने ठंडे पानी के हों रवानी में, ऊँचे पहाड़ों से बह के
ठहरे तालाबों से जैसे मिले

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
हम ना रहे हम, तुम क्या मिले
जैसे मेरे दिल में खिले
फागुन के मौसम, तुम क्या मिले

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
हम ना रहे हम, तुम क्या मिले

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले

(तुम क्या मिले, तुम क्या मिले)
(तुम क्या मिले, तुम क्या मिले)
(तुम क्या मिले, तुम क्या मिले)
(तुम क्या मिले, तुम क्या मिले)



Credits
Writer(s): Anand Bakshi
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