Yeh Haqeeqat Hai Apni
कौन हैं जिसने मय नहीं चखी?
कौन झूठी क़सम उठाता है?
मयक़दे से जो बच निकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
मयक़दे का मज़ा और है
उसकी आँखों से मिलता है जो
उसकी आँखों से मिलता है जो
दोस्तों, वो नशा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
तोड़कर हर तकल्लुफ़ की हद
आज छूलेंगे साक़ी के लब
तोड़कर हर तकल्लुफ़ की हद
आज छूलेंगे साक़ी के लब
क्या करें यार, अब के बरस
क्या करें यार, अब के बरस
मौसमों की सदा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
बाम-ओ-दर मुस्कुराते ना थे
खिड़कियाँ खुल के हँसती ना थीं
बाम-ओ-दर मुस्कुराते ना थे
खिड़कियाँ खुल के हँसती ना थीं
जब से तुम दिल के मेहमाँ हुए
जब से तुम दिल के मेहमाँ हुए
मेरे घर की फ़ज़ा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
वक़्त काँटे बिछाया करे
लोग रिश्तों को काटा करें
वक़्त काँटे बिछाया करे
लोग रिश्तों को काटा करें
दिल की नज़दीकियाँ और हैं
दिल की नज़दीकियाँ और हैं
जिस्म का फ़ासला और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
कोई टूटा हुआ जाम ही
चल के ले आए आपने लिए
कोई टूटा हुआ जाम ही
चल के ले आए आपने लिए
सुन रहे हैं ज़फ़र इन दिनों
सुन रहे हैं ज़फ़र इन दिनों
मयक़दे की हवा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
मयक़दे का मज़ा और है
उसकी आँखों से मिलता है जो
उसकी आँखों से मिलता है जो
दोस्तों, वो नशा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
कौन झूठी क़सम उठाता है?
मयक़दे से जो बच निकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
मयक़दे का मज़ा और है
उसकी आँखों से मिलता है जो
उसकी आँखों से मिलता है जो
दोस्तों, वो नशा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
तोड़कर हर तकल्लुफ़ की हद
आज छूलेंगे साक़ी के लब
तोड़कर हर तकल्लुफ़ की हद
आज छूलेंगे साक़ी के लब
क्या करें यार, अब के बरस
क्या करें यार, अब के बरस
मौसमों की सदा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
बाम-ओ-दर मुस्कुराते ना थे
खिड़कियाँ खुल के हँसती ना थीं
बाम-ओ-दर मुस्कुराते ना थे
खिड़कियाँ खुल के हँसती ना थीं
जब से तुम दिल के मेहमाँ हुए
जब से तुम दिल के मेहमाँ हुए
मेरे घर की फ़ज़ा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
वक़्त काँटे बिछाया करे
लोग रिश्तों को काटा करें
वक़्त काँटे बिछाया करे
लोग रिश्तों को काटा करें
दिल की नज़दीकियाँ और हैं
दिल की नज़दीकियाँ और हैं
जिस्म का फ़ासला और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
कोई टूटा हुआ जाम ही
चल के ले आए आपने लिए
कोई टूटा हुआ जाम ही
चल के ले आए आपने लिए
सुन रहे हैं ज़फ़र इन दिनों
सुन रहे हैं ज़फ़र इन दिनों
मयक़दे की हवा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
मयक़दे का मज़ा और है
उसकी आँखों से मिलता है जो
उसकी आँखों से मिलता है जो
दोस्तों, वो नशा और है
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
ये हक़ीक़त है अपनी जगह
Credits
Writer(s): Zafar Gorakhpuri, Ashok Khosla
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