Kya Bhulayega

क्या भुलाएगा ज़माना तेरे दीवाने को
क्या भुलाएगा ज़माना तेरे दीवाने को
लोग दोहराते रहेंगे मेरे अफ़साने को
क्या भुलाएगा...

तू जो मस्ती भरी आँखों से पीला दे साक़ी
तू जो मस्ती भरी आँखों से पीला दे साक़ी
फिर ना देख़ूँगा पलट कर कभी पैमाने को
क्या भुलाएगा...

जज़्बा-ए-इश्क़ का दावा हो जिसे, वो पहले
जज़्बा-ए-इश्क़ का दावा हो जिसे, वो पहले
देख ले शम्मा पे जलते हुए परवाने को
क्या भुलाएगा...

दहशत-ए-दिल का ये आलम है तो इक दिन फ़य्याज़
दहशत-ए-दिल का ये आलम है तो इक दिन फ़य्याज़
जा के आबाद करेंगे किसी वीराने को

क्या भुलाएगा ज़माना तेरे दीवाने को
लोग दोहराते रहेंगे मेरे अफ़साने को
क्या भुलाएगा...



Credits
Writer(s): Fayyaz Ahmed Khan, Madhu Rani
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