Ab Ke Hum Bichhrey To

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिले
अब के हम बिछड़े...

तू खुदा है, न मेरा इश्क फरिश्तों जैसा
दोनों इंसान हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिले
अब के हम बिछड़े...

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नशा बहता है शराबों में तो शराबों में मिले
अब के हम बिछड़े...

अब लबों में हूँ न तू है न वो माज़ी है फ़राज़
अब के हम बिछड़े...



Credits
Writer(s): Ahmed Faraz, Mehdi Hassan
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link