Dil Sine Me Aayeena Tha

दिल वो नगर नहीं कि जो आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ के

दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे
दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे
जब टूटा ये शीशा तो हर एक टुकड़े में तुम थे
दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे

बिछड़े तो उजालों की तरह फैल गए तुम
बिछड़े तो उजालों की तरह फैल गए तुम
बिछड़े तो उजालों की तरह फैल गए तुम

हर चेहरा तुम्हारा था, हर एक इश्क़ में तुम थे
जब टूटा ये शीशा तो हर एक टुकड़े में तुम थे
दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे

हर जाम पे सूरज से उतरते रहे मुझ में
हर जाम पे सूरज से उतरते रहे मुझ में
हर जाम पे सूरज से उतरते रहे मुझ में

कल रात को शायद मेरे पैमाने में तुम थे
जब टूटा ये शीशा तो हर एक टुकड़े में तुम थे
दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे

आँगन की भरी धूप थी परछाई तुम्हारी
आँगन की भरी धूप थी परछाई तुम्हारी
आँगन की भरी धूप थी परछाई तुम्हारी

इक चाँदनी इस घर में थी, जिस लम्हे में तुम थे
जब टूटा ये शीशा तो हर एक टुकड़े में तुम थे
दिल सीने में आईना था, आईने में तुम थे
आईने में तुम थे, आईने में तुम थे



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Zameer Kazmi
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