Sulagati Hain Aankhen Duet Version - From "Insaaf"

सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
गले से लगा लो कि जी चाहता है

मुझे ख़ाक कर दो, मुझे राख़ कर दो
मुझे फूँक डालो कि जी चाहता है
सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
गले से लगा लो कि जी चाहता है

उधर भी है तूफ़ाँ, इधर भी है तूफ़ाँ
भँवर से निकालो कि जी चाहता है
सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
गले से लगा लो कि जी चाहता है

यहाँ तक तो पहुँचे, यहाँ तक तो आए
यहाँ तक तो पहुँचे, यहाँ तक तो आए
सनम, तुम पे डाल दूँ ज़ुल्फ़ों के साएँ
सनम, तुम पे डाल दूँ ज़ुल्फ़ों के साएँ

ये रुकना, मचलना, मचलकर सँभलना
ये पर्दें हटा लो कि जी चाहता है, हो
उधर भी है तूफ़ाँ, इधर भी है तूफ़ाँ
भँवर से निकालो कि जी चाहता है

बहारों के दिन हैं, जवानी की रातें
ये दो-चार हैं मेहरबानी की रातें
बहारों के दिन हैं, जवानी की रातें
ये दो-चार हैं मेहरबानी की रातें

नशा आ रहा है, सबर जा रहा है
ये रातें मना लो कि जी चाहता है, हो
सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
गले से लगा लो कि जी चाहता है

मुझे ख़ाक कर दो, मुझे राख़ कर दो
मुझे फूँक डालो कि जी चाहता है, हो
सुलगती हैं आँखें, तरसती हैं बाँहें
गले से लगा लो कि जी चाहता है



Credits
Writer(s): Laxmikant Pyarelal, Farooq Qaiser
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