Param Vinay Se

परम विनय से
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
परम विनय से नत मस्तक हो शरणों में जो आए
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।
परम विनय से नत मस्तक हो शरणों में जो आए
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।

महादेव हैं ये मतवाले ब्रह्म स्वरूप सुखधारा
जिनके चरण निखारे आत्मा शुद्ध स्वरूप के दाता
कलिकाल है वश में जिनके नाथ त्रिलोक हैं दादा।
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।

स्यादवाद है शब्द निराला उतरा पार उतारा
भीतर प्रकटे नाथ सनातन तरणतारणहारा
ज्ञानी परमात्मा कहलाए पाप विनाशन ज्वाला।
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।

तन मन धन सब चरणों में धर ज्ञान तेरा जो पाए
सत्तर प्रतिशत आज्ञा में रह जो व्यवहार निभाए
सकाम निर्जरा परम मोक्ष का अधिकारी बन जाए।
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।


ओ परम विनय से नत मस्तक हो शरणों में जो आए
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।
परम विनय से नत मस्तक हो शरणों में जो आए
प्रत्यक्ष पारस रूप हैं दादा निज स्वरूप पा जाए।
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ



Credits
Writer(s): Dada Bhagwan
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