Udte Hue Panchhi

उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
हाँ हाँ मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में
मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में

पूछा पंछी से ये पूछा पानी से भी और मिले हम हवा को
कैसा तुम्हें लगता है बिना बंधन के ये अनुभव हम को कहो
तीनों के मुख पे हँसी आई ऐसी सब कुछ वो ही कह गई
उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
हाँ हाँ मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में

नियम ये कहता है सुख ही सुख रहता है सच्ची आज़ादी में
पाना है आसान ज्ञानी गर मिल जाए फीर तो है वो मुठ्ठी में
कहा तीनों ने जा ज्ञानी शरण में बंधन तूटेगा वहाँ
उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
हाँ हाँ मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में

दादा मिले ऐसे में बातें उनकी सुनके दिल को जो तृप्ति हुई
ढूँढते हो जो कब से आश पूरी होगी अंदर से आवाज़ दी
जैसे किया मैंने उनको समर्पण मुक्ति का अनुभव हुआ
उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
उड़ते हुए पंछी बहता हुआ पानी और ये लहराती हवा
हाँ हाँ मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में
मैं भी तो चाहूँ कैसे ये पाऊँ आज़ादी का रंग जीवन में
रोके न कोई टोके न कोई होगा क्या इस जन्म में
होगा क्या इस जन्म में
होगा क्या इस जन्म में



Credits
Writer(s): Dada Bhagwan
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