Kai Din Se Mujhe

कई दिन से मुझे कोई सपनों में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तो वो तुम हो, तुम हो, तुम हो

अक्सर मेरा मन कहता था
चुप कर कोई आता है, हलचल मचाता है
अच्छा तो वो तुम हो, तुम हो, तुम हो

आती जाती लहरों की तरह
साहिल पे आके लौट मत जाना
तुम भी कहीं गैरों की तरह
जी देखो देखो आखें ना चुराना

इस पल से आखरी पल तक
संग संग अब रेहेना है

कई दिन से मुझे कोई सपनों में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तो वो तुम हो, तुम हो, तुम हो

धीरे धीरे बहती ये हवा
गाती है उन्हीं दिलों के तराने
एक दूसरे में खो के
जो रहे दुनिया से अनजाने
मेरी तुम्हारी चाहत को
ऐसे ही ये दोहरायेगी

अक्सर मेरा मन कहता था
चुप कर कोई आता है
हलचल मचाता है
अच्छा तो वो तुम हो, तुम हो, तुम हो

कई दिन से मुझे कोई सपनों में
आवाज़ देता था, हर पल बुलाता था
अच्छा तो वो तुम हो, तुम हो, तुम हो

तुम हो, तुम हो, तुम हो
तुम हो, तुम हो, तुम हो
तुम हो, तुम हो, तुम हो, तुम हो



Credits
Writer(s): Jalaj Sharma, Rajat Sharma
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