Darakht

मेरे दिल के दरख़्तों पे तुम्हारी मोहब्बत के परिंदे
मेरे दिल के दरख़्तों पे तुम्हारी मोहब्बत के परिंदे
आशियाना बनाने लगे

अब फिर से इनके चहचहाने का शोर होगा
हर शाख़, हर डाली पे इनका ही ज़ोर होगा
अब फिर से इनके चहचहाने का शोर होगा
हर शाख़, हर डाली पे इनका ही ज़ोर होगा

आओगी तो ये काँपेंगी, जाओगी तो ये काँपेंगी
ठहरोगी जो कुछ देर, शाख़ें ये झुक जाएँगी
मगर कब तक?

जब जाड़ों की धूप दस्तक देगी
इन शाख़ों से पत्ते बिछड़ जाएँगे
तो ये परिंदे भी आशियाँ छोड़
दूर चले जाएँगे, हाँ, दूर चले जाएँगे

मैं फिर इन शाख़ों के हरे होने का इंतज़ार करूँगा
फिर तुम्हारे आने का इंतज़ार करूँगा

मेरे दिल के दरख़्तों पे तुम्हारी मोहब्बत के परिंदे
मेरे दिल के दरख़्तों पे तुम्हारी मोहब्बत के परिंदे
मेरे दिल के दरख़्तों पे तुम्हारी मोहब्बत के परिंदे



Credits
Writer(s): Bharat Chauhan
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