Jee Dhoondta Hai

जी ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन
जी ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन

बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए

फिर जी चाहे किसी नसीम-ए-सहर में हम पड़े रहें
फिर जी चाहे किसी नसीम-ए-सहर में हम पड़े रहें

तेरे गेसुओं का नक़ाब ओढ़े हुए
या शफ़क़ में धीमी सी बूंदों से हम चले रहें
तेरे कफ़-ए-नाज़ुक हाथों में लिए हुए

जब तेरी झुर्रियों से जवानी हसेगी
जब तेरी आँखों से कहानी चलेगी
काँपते होंठों पे तेरा नाम होगा
जी ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन



Credits
Writer(s): Bharat Chauhan
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