Sun Badra

बदरिया की चली है फौज ये किसकी डगरिया पे
भिगोने को किसी का मन मगर प्यासे तो हम भी थे
भिगोने आये हैं किसको ये इस उजड़ी नगरिया में
खिलेंगे गुल ज़माने भर के पर मुरझाये तो हम भी थे
कहीं तुमको भी हम जैसा यूँ मुरझाना ना पड़े
सुन बदरा, कहीं यहाँ बरस के पछताना ना पड़े
कहीं फिर बाद में मेरी तरह अश्क़ बहाना ना पड़े
सुन बदरा
ज़माने का था जिसको मोह वो प्रीत की है तलाश में
मिलें हैं मीत ग़र ढूंढो, मगर वो सब भरम ही थे
कहीं पाने कोई अपना ख़ुद ही खोना ना पड़े
सुन बदरा, कहीं यहाँ बरस के पछताना ना पड़े
कहीं फिर बाद में मेरी तरह अश्क़ बहाना ना पड़े
सुन बदरा
हवाओं में घुटन है, हर दिशा में आज कोहरा है
तुम्हें ये खेल लगता है, कभी खेले तो हम भी थे
कहीं इस खेल में मेरी तरह हार जाना ना पड़े
सुन बदरा, कहीं यहाँ बरस के पछताना ना पड़े
कहीं फिर बाद में मेरी तरह अश्क़ बहाना ना पड़े
सुन बदरा

सुन बदरा, कहीं यहाँ बरस के पछताना ना पड़े



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