Teri Narm Chandni

बदरिया की
चली है फौज ये
किसकी डगरिया पे
भिगोने को
किसी का मन मगर
प्यासे तो हम भी थे
नहीं लगता
है दिल ये अब
कहीं भी और
नगरिया में
तेरी नर्म चांदनी के ही
भरोसे ये शबनम भी थे
बदरिया की
चली है फौज ये
किसकी डगरिया पे
भिगोने को
किसी का मन मगर
प्यासे तो हम भी थे
है बदला ज़िन्दगी ने
अपना रंग
हर इक नज़रिये पे
रुकें सांसें
जब हो दीदार
थम जाते कदम भी थे
बदरिया की
चली है फौज ये
किसकी डगरिया पे
भिगोने को
किसी का मन मगर
प्यासे तो हम भी थे
बिछी है एक
चादर हिज़्र की
इस अश्क-ए-दरिया पे
हँसें लब सोचकर
अक्सर कि हम
तेरे सनम भी थे
बदरिया की
चली है फौज ये
किसकी डगरिया पे
भिगोने को
किसी का मन मगर
प्यासे तो हम भी थे
प्यासे तो हम भी थे



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