Tu Kisi Aur Ki

तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
लोग तूफ़ान उठा देंगे, मेरे साथ ना चल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल

पहले हक़ था तेरी चाहत के चमन पर मेरा
पहले हक़ था तेरी खुशबू-ए-बदन पर मेरा
अब मेरा प्यार, तेरे प्यार का हक़दार नहीं
मैं तेरे गेसूओं रुखसार का हक़दार नहीं
अब किसी और के शानों पे है तेरा आँचल

तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल

मैं तेरे प्यार से घर अपना बसाऊँ कैसे
मैं तेरी माँग सितारों से सजाऊँ कैसे
मेरी क़िस्मत में नहीं प्यार की खुशबू शायद
मेरे हाथों की लकीरों में नहीं तू शायद
अपनी तक़दीर बना, मेरा मुकद्दर ना बदल

तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल

मुझसे कहती है ये खामोश निगाहें तेरी
मेरी परवाज़ से ऊँची हैं पनाहें तेरी
और मैं गैरत-ए-एहसास पे शर्मिंदा हूँ
अब किसी और की बाहों में हैं बाहें तेरी
अब कहाँ मेरा ठिकाना है? कहाँ तेरा महल?

तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
लोग तूफ़ान उठा देंगे, मेरे साथ ना चल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल
तू किसी और की ज़ागीर है, ऐ, जान-ए-ग़ज़ल



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Zafar Kaleem
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