Gujre Dino Ki Yaad

गुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगे
गुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगे
गुज़रूँ जो उस गली से तो...
गुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
गुज़रे दिनों की याद...

मेहमान बनके आए किसी रोज़ अगर वो शख़्स
मेहमान बनके आए किसी रोज़ अगर वो शख़्स

उस रोज़ बिन सजाए मेरा घर सजा लगे
उस रोज़ बिन सजाए मेरा घर सजा लगे
गुज़रूँ जो उस गली से तो...
गुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
गुज़रे दिनों की याद...

मैं इस लिए मनाता नहीं वस्ल की ख़ुशी
मैं इस लिए मनाता नहीं वस्ल की ख़ुशी

मेरे रक़ीब की ना मुझे बद-दुआ लगे
मेरे रक़ीब की ना मुझे बद-दुआ लगे
गुज़रूँ जो उस गली से तो...
गुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
गुज़रे दिनों की याद...

वो क़हत दोस्ती का पड़ा है कि इन दिनों
वो क़हत दोस्ती का पड़ा है कि इन दिनों

जो मुस्कुरा के बात करे, आश्ना लगे
जो मुस्कुरा के बात करे, आश्ना लगे
गुज़रूँ जो उस गली से तो...
गुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
गुज़रे दिनों की याद...

तर्क-ए-वफ़ा के बाद ये उसकी अदा, क़तील
तर्क-ए-वफ़ा के बाद ये उसकी अदा, क़तील

मुझको सताए कोई तो उसको बुरा लगे
मुझको सताए कोई तो उसको बुरा लगे
गुज़रूँ जो उस गली से तो...
गुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
गुज़रे दिनों की याद...



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Qateel Shifai
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