Dil Ka Vehem

जब छेड़ दी थी जंग, हम गये थे सहम
ऐ मेरे खुद़ा करो दिल पे रहम
ऐ मेरे खुद़ा करो दिल पे रहम
ये है दिल की सनक या फिर दिमाग का वहम

तुम आग से जला दो मुझे किसने तुम्हें रोका
और राख भी उड़ा दो अभी चल रहा है झोंका
हाँ वैसे हूँ दैविक मसीहा हूँ थोड़ा
दीवार पे लगानी कील दिल पे क्यों ठोका

मेरी रूह थी तुम्हारी तुमने दिल क्यों तोड़ा
दिल मेरा शीशे का मार के हथौड़ा
अभी हाथ में है धोखा और बेकार था ये सौदा
मैंने दस दिया एक का हज़ार दिया सौ का
कश –कश का हिसाब फूक मार के झारोका
नस-नस में है शक मुझे आज नहीं भरोसा
हंस-हंस के भुलाया कई बार तुमने घोपा
खंजर जंग से बनाई दूरी जैसे मैं अशोका

मेरी मौत की ये डोर और इस डोर को हम खींचे
मैं दो कदम आगे और तुम दो कदम पीछे
मैं टूटा था पहले से क्यों और किए हिस्से
बर्बादी का तमाशा देखू पैग मारके नीके
है घर मेरा शीशे का सब मार रहे ईंटे
मैं बदलूं लिबास तो तुम मारती हो छीटें
हम उलझे है मानों जैसे बांधे हो फीते
ये रिश्ता नहीं भींख है तुम्हें लगता तो ठीक है

दिखाने का मतलब ज़रूरी नहीं ठीक हो
तुम मानों न मानों पर खा रही Ego
ख्यालों में आती ये बातें मैं चलता हूँ मिलों
ज़मीनों पे ऐसी
हुये पैरों में छाले तुम देखो याकीन हो
कर रही छल और कपट
मैं नहीं कह रहा ये कह रहे तीनों
जो बैठे है कंधे और सर पे अब बीते महीने
मैं बोलू शैतान इन्हें या फिर Amigo
मैं बोलू शैतान इन्हें या फिर Amigo
Amigo, amigo, amigo

जब छेड़ दी थी जंग, हम गये थे सहम
ऐ मेरे खुद़ा करो दिल पे रहम
ऐ मेरे खुद़ा करो दिल पे रहम
ये है दिल की सनक या फिर दिमाग का वहम

जब छेड़ दी थी जंग, हम
ऐ मेरे खुद़ा करो दिल
दिमाग का वहम



Credits
Writer(s): Shashank Dwivedi
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