Dillagi

आँखें रूठी
बाते झूटी
यादें छूटी
आँखें रूठी

आती जाती इस गली
वो काटों से सटी कली
बाघों में दिखी मुझे
चाहता उसको हर घड़ी

आँखें रूठी
बाते झूटी
यादें छूटी
आँखें रूठी

सुनो मेरी बात मान
सवाल नहीं बस हाथ थाम
फिर चलते यहाँ से कहीं दूर
या फिर आसमान
या पीछे समय में
हम दुसरे गृह पे
अंतरिक्ष से बहार
हम दोनों है सहमे

मेरी बाहों में सोना
क्यूंकि ज़ेवर हो तुम
कोई आगे ना पीछे
बस केवल हो तुम
और ये ढल रहा है दिन
काफी बेबस हो तुम
मेरे दोस्तों के बीच में
काफी Famous हो तुम



Credits
Writer(s): Shashank Dwivedi
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