Kaisa Hai

जो ना किया हो शिद्दत से, वो इंतज़ार भी कैसा है?
जो रातो की ना नींद उड़ाए, वो दीदार भी कैसा है?

जो वक़्त पड़े पर काम ना आये, वो जिगरी यार भी कैसा है?
जो भूला दिया कुछ ही दिन मे वो पहला प्यार भी कैसा है?

जो ना उसकी याद दिलाये, वो महताब भी कैसा है?
जो ना कभी दिन-रात भुलाये, वो ख्वाब भी कैसा है?

जो ले चंद सिक्के बिक जाए, वो ईमान भी कैसा है?
पाने को जिसे ना होश गवाए, वो ईनाम भी कैसा है?

जो ना बदले वक़्त पुराना, वो नया साल भी कैसा है?
जिसे ना लत मय की लग जाये, वो बेहाल भी कैसा है?

जब ना दोपहर सड़को पर गुज़रे, वो लड़कपन कैसा है?
जो फिर मुड़कर याद ना आये, वो बचपन भी कैसा है?

जो ना बड़ो का आदर सिखलाये, वो संस्कार भी कैसा है?
जहाँ माँ भूखी सो जाए, वो घर-बाहर भी कैसा है?
वो घर-बाहर भी कैसा है?



Credits
Writer(s): Paul Daugherty, Rohit 'katib'
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