Hai Ye Kaisa Safar

सवेरा होने को है, ये रात बीती जा रही है
साथ तेरा खोने को है, बस ये बात ही सता रही है
आँखों में तेरे इक नमी सी है,
लफ़्ज़ों में मेरे कुछ कमी सी है
ये नाज़ुक से पल, पल में जाएँ फिसल
है ये कैसा सफर
ये नाज़ुक से पल, पल में जाएँ फिसल
है ये कैसा सफर

आसमाँ भी रोने को है, ये फ़िज़ा तूफ़ान हुई है
करवटों की आहट से ही ये ज़मीं थरथरा उठी है
फूलों में रंगों की कुछ कमी सी है
राज़ राज़ ही रहे लाज़मी भी है
ये नाज़ुक से पल, पल में जायें फिसल
है ये कैसा सफर
ये नाज़ुक से पल, पल में जायें फिसल
है ये कैसा सफर

ये नाज़ुक से पल, पल में जायें फिसल
है ये कैसा सफर
ये नाज़ुक से पल, पल में जायें फिसल
है ये कैसा सफर
ये नाज़ुक से पल, पल में जायें फिसल
है ये कैसा सफर



Credits
Writer(s): Ashish, Mohit
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