Mai Aksar Tumhari Tasveer Se

ज़ुल्फ़ों के पहरे से न जाने चेहरे ने क्या बात कही थी
क्या सच है ये उस महफ़िल में तुमसे हसीं और कोई नहीं था
मैं अक्सर तुम्हारी तस्वीर से
ये पूछा करूँ थोड़ी तफ़्सीर से
के ज़ुल्फ़ों के पहरे से न जाने चेहरे ने क्या बात कही थी

पलकों के साये में न जाने किस दिल की सौगात रखी थी
क्या सच है ये इन नज़रों ने किसी और को थम के देखा नहीं था
मैं अक्सर तुम्हारी तस्वीर से
ये पूछा करूँ थोड़ी तफ़्सीर से
के पलकों के साये में न जाने किस दिल की सौगात रखी थी



Credits
Writer(s): Ashish Pratap Singh
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