Khushk Hi Sahi Aankhen

ख़ुश्क ही सही आँखें कुछ ना कुछ तो रो लेंगे
ख़ुश्क ही सही आँखें कुछ ना कुछ तो रो लेंगे
वो ज़ुबाँ ना तर होगी...
वो ज़ुबाँ ना तर होगी, होंठ ही भिगो लेंगे
ख़ुश्क ही सही आँखें कुछ ना कुछ तो रो लेंगे

'गर ना मिल सके मोती दर्द के समंदर से
'गर ना मिल सके मोती दर्द के समंदर से
अपने रिश्त-ए-जाम-ए...
अपने रिश्त-ए-जाम-ए-संग ही पिरो लेंगे

वो ज़ुबाँ ना तर होगी...
वो ज़ुबाँ ना तर होगी, होंठ ही भिगो लेंगे
ख़ुश्क ही सही आँखें कुछ ना कुछ तो रो लेंगे

ये समझ के माना है सच तुम्हारे बातों को
ये समझ के माना है सच तुम्हारे बातों को
इतने ख़ूबसूरत लब...
इतने ख़ूबसूरत लब झूठ कैसे बोलेंगे

वो ज़ुबाँ ना तर होगी...
वो ज़ुबाँ ना तर होगी, होंठ ही भिगो लेंगे
ख़ुश्क ही सही आँखें कुछ ना कुछ तो रो लेंगे



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Fayyaz Ahmed Khan, Shahzaad
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