Raat Phir Barsi Hain

रात फिर बरसी हैं, यादों की घटाएँ क्या-क्या
रात फिर बरसी हैं, यादों की घटाएँ क्या-क्या
दी है गुज़रे हुए मौसम ने सदाएँ क्या क्या
रात फिर बरसी हैं...

वो हसीं शाम, वो पैमान-ए-वफ़ा, वो क़स्में
वो हसीं शाम, वो पैमान-ए-वफ़ा, वो क़स्में
वो तो सब भूल गया, याद दिलाएँ क्या-क्या
वो तो सब भूल गया, याद दिलाएँ क्या-क्या
रात फिर बरसी हैं...

मेरे ज़ख़्मों की नवा, तेरे लहू की आवाज़
मेरे ज़ख़्मों की नवा, तेरे लहू की आवाज़
खो गई वक़्त के जंगल में सदाएँ क्या-क्या
खो गई वक़्त के जंगल में सदाएँ क्या-क्या
रात फिर बरसी हैं...

अपने अश्कों की इबादत, तेरे ग़म की तहरे
अपने अश्कों की इबादत, तेरे ग़म की तहरे
हम हसीं यादों के माथे से मिटाएँ क्या-क्या
हम हसीं यादों के माथे से मिटाएँ क्या-क्या

रात फिर बरसी हैं, यादों की घटाएँ क्या-क्या
दी है गुज़रे हुए मौसम ने सदाएँ क्या-क्या
रात फिर बरसी हैं...



Credits
Writer(s): Mumtaz Rashid, Talat Aziz, Fayyaz Ahmed Khan
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