Koi Maqaam - E - Sukoon

कोई मक़ाम-ए-सुकूँ रास्ते में आया नहीं
कोई मक़ाम-ए-सुकूँ रास्ते में आया नहीं
हज़ार पेड़ हैं, लेकिन कहीं भी साया नहीं
कोई मक़ाम...

किसे पुकारे कोई आहटों के सहरा में
किसे पुकारे कोई आहटों के सहरा में

यहाँ कभी कोई चेहरा नज़र तो आया नहीं
यहाँ कभी कोई चेहरा नज़र तो आया नहीं
हज़ार पेड़ हैं, लेकिन कहीं भी साया नहीं
कोई मक़ाम...

भटक रहे हैं अभी तक मुसाफ़िरान-ए-विसाल
भटक रहे हैं अभी तक मुसाफ़िरान-ए-विसाल

तेरे जमाल ने कोई दीया जलाया नहीं
तेरे जमाल ने कोई दीया जलाया नहीं
हज़ार पेड़ हैं, लेकिन कहीं भी साया नहीं
कोई मक़ाम...

उजड़ गया है किसी ज़लज़ले में शहर-ए-वफ़ा
उजड़ गया है किसी ज़लज़ले में शहर-ए-वफ़ा

ना जाने फिर इसे हमने भी क्यूँ बसाया नहीं
ना जाने फिर इसे हमने भी क्यूँ बसाया नहीं
हज़ार पेड़ हैं, लेकिन कहीं भी साया नहीं
कोई मक़ाम-ए-सुकूँ रास्ते में आया नहीं
कोई मक़ाम...



Credits
Writer(s): Talat Aziz
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