Dhal Gaya Chand

ढल गया चाँद, गई रात, चलो सो जाएँ
हो चुकी उनसे मुलाक़ात, चलो सो जाएँ
ढल गया चाँद...

अब कहाँ गूँज फ़िज़ा में किसी शहनाई की
अब कहाँ गूँज फ़िज़ा में किसी शहनाई की

लूट गई आस की बारात, चलो सो जाएँ
हो चुकी उनसे मुलाक़ात, चलो सो जाएँ
ढल गया चाँद...

लोग इक़रार-ए-वफ़ा करके भुला देते हैं
लोग इक़रार-ए-वफ़ा करके भुला देते हैं

ये नहीं कोई नई बात, चलो सो जाएँ
हो चुकी उनसे मुलाक़ात, चलो सो जाएँ
ढल गया चाँद...

जागने से भी कहीं रुकते हैं बहते आँसू
जागने से भी कहीं रुकते हैं बहते आँसू

उम्र-भर होगी ये बरसात, चलो सो जाएँ
हो चुकी उनसे मुलाक़ात, चलो सो जाएँ
ढल गया चाँद, गई रात, चलो सो जाएँ
हो चुकी उनसे मुलाक़ात, चलो सो जाएँ
ढल गया चाँद...



Credits
Writer(s): Qateel Shifai, Arjan Daswani
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