Guftgu

ना ज़ोर, ना जबरदस्ती दिखता मैं
बस तुम से इक गुफ्तगू था चाहता मैं

माना तरीका बेहया था मेरा
पर दिल से कुछ बुरा नहीं चाहता मैं

मजबूर हूँ मैं बहुत,अपने दिल की ख्वाहिश से
अगर मेरे बस में होता, तो कभी शक्ल नहीं दिखता मैं

भूल गया गणित, भौतिकी, और रसायन शास्त्र भी
पर क्या मामला है जाने, तेरी सूरत भूल नहीं पाता मैं

सह लूंगा तेरा गुस्सा, गिला और गाली भी
काश तुझ से ये दूरी सह पाता मैं

माना मजबूर है तू, ना जाने किस मजबूरी से
अगर होता साथ तेरा, तो तुझे खुदा से खोस लाता मैं
तो तुझे खुदा से खोस लाता मैं



Credits
Writer(s): Rohit 'katib', Yong Boyd
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