Afsos

दास्तां-ए-इश्क़-ए-बशर में जो तुम खुदा हो गए थे
अफ़सोस बड़ा होगा तुम्हें अपने खुदा होने पर

करते फिर रहे हो जो बेवफ़ाई हर किसी से
दर्द सह ना सकोगे तुम इक दगा होने पर

लो वक़्त अपना दरिया-ए-इश्क़ में उतारने से पहले
बीच राह ना छोड़ना कभी रज़ा होने पर

चीर देती है ये मुकम्मल पहाड़ को भी
बद-दुआ बहुत लगती है बेवजह जुदा होने पर



Credits
Writer(s): Irma Lopez, Rohit 'katib'
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